मानवता को शर्मशार करने का एक मामला सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर से सामने आया जहाँ करीब 38 दिनों से एक व्यक्ति का शव थाने में पड़ा सड़ रहा है लेकिन अभी तक खाकी उसका पोस्टमार्टम नहीं करा पाई । जिससे की मौत के कारणों कां पता लगाया जा सके। मौके पर पुलिस ने फॉरेंसिक टीम को बुलाकर शव को जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ तो भेजा जरूर लेकिन मामला जस का तस ही रहा और शव को फिर से एक ताबूत में बंद करके जयसिंहपुर थाने में रखने के लिए भेज दिया गया वही परिजन का भी कहना है कि आरोपियों पर कार्यवाही और उसका कारण पता लगे तो,तभी शव का अंतिम संस्कार हम करेगे। इस पुरे मामले में सबसे ताज्जुब की बात यह रही की लखनऊ में शव के परिक्षण के लिए ले जाते वक्क्त के सारे खर्चे भी गरीब परिजन से कराये गए।
थाना परिसर के अंदर ही जो ताबूत दिखाई पड़ रहा यह पिछले 38 दिनों से ऐसे ही पड़ा है । जो की अंतिम संस्कार की प्रतीक्षा में सड़ कर नरकंकाल में तब्दील हो चुका है, लेकिन पुलिस की लापरवाही के चलते आज तक उसका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया वही परिजन भी पुलिस की मदद न मिलने के चलते शव का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे।
दरअसल मामला सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर थाना क्षेत्र का है जहाँ भभोट अहिरौली गांव के रहने वाले 38 वर्षीय शशी का अचानक घर से गायब हो गया, और फिर 15 दिनों बाद गांव के बाहर एक सुनसान स्थान पर पेड़ से लटका शव मिला। परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए थाने पर तहरीर दी। पुलिस ने हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, लेकिन वहाँ से भी कोई रिपोर्ट नहीं आई। मौत के कारणों का स्पष्ट पता न चलने की वजह से शव को विधि विज्ञानं प्रयोगशाला लखनऊ भेजा गया लेकिन वहाँ भी कर्मचारियो द्वारा शव की दुसरे तरीके से जांच की बात कहकर वापस थाने भेज दिया गया जिसके बाद अभी तक शव एक ताबूत में बंद करके थाने में रखा,अंतिम संस्कार का इंतज़ार कर रहा है।
वही मृतक के भाई ने पुलिस पर आरोप लगते हुए कहा कि आरोपियों से मिल कर पुलिस ने पैसे लेकर हमें फ़साने की कोशिश कर रही है और यहाँ से लेकर लखनऊ तक जो भी पोस्टमार्टम कराने के नाम पर जितना भी रुपये खर्च हुए है वह सब मुझसे लिए गए है लगभग २० से २२ हज़ार रुपये मेरे खर्च हुए। पुलिस ने लाश को देने के लिए अभी तक करती रही हीलाहवाली।
वही मृतक के भाई ने पुलिस पर आरोप लगते हुए कहा कि आरोपियों से मिल कर पुलिस ने पैसे लेकर हमें फ़साने की कोशिश कर रही है और यहाँ से लेकर लखनऊ तक जो भी पोस्टमार्टम कराने के नाम पर जितना भी रुपये खर्च हुए है वह सब मुझसे लिए गए है लगभग २० से २२ हज़ार रुपये मेरे खर्च हुए। पुलिस ने लाश को देने के लिए अभी तक करती रही हीलाहवाली।
वही पुलिस की माने तो सुल्तानपुर अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नवम्बर महीने में एक पेड़ से लटकी हुई लाश मिली थी ,लाश लगभग नरकंकाल में तब्दील हो गई थी,बाद में उसकी शिनाख्त हुई जो कि उसी गांव का शशि नाम का रहने वाला था,शव को जिला सुल्तानपुर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था जहाँ डॉक्टरों ने यह कह कर मामले को टाल दिया कि यह यहाँ संभव नहीं है,फिर शव को विधि विज्ञानं प्रयोगशाला भेजा गया,जिसमे कि वहां से भी विधि विज्ञानं प्रयोगशाला के डॉक्टरों ने भी वहां से नरकंकाल कह कर वापस भेज दिया। वही पुलिस ५ दिसंबर को मृतको के परिजनों को नोटिस द्वारा सूचना दे दी गई थी,लेकिन परिजनों ने भी शव को लेने से इन्कार कर दिया है। वही परिजनों का माने तो उसकी हत्या की गई है, परिजनों का आरोप है कि जबतक कारण नहीं स्पस्ट होगा तबतक हम शव को नहीं लेंगे।
दीपांकुश श्रीवास्तव की खाश रिपोर्ट .....

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